स्वाट टीम ने पड़ोसी प्रांत बिहार में दबिश दी

बनकटा थाना क्षेत्र के रामपुर बुजुर्ग में ग्राहक सेवा केंद्र से हुई लूटपाट के मामले में कुशीनगर से शातिर बदमाश को उठाने के बाद जिले की स्वाट टीम को अहम सुराग हाथ भले ही लगे हैं, लेकिन घटना में शामिल बदमाशों की गिरफ्तारी की राह पुलिस के लिए सरल नहीं दिख रहीशामिल बदमाशों ने अपने मोबाइल नंबरों को बंद कर दिया है, जिसके चलते पुलिस के अचूक हथियार सर्विलांस को भी सफलता हाथ नहीं लग पा रही है। स्वाट टीम ने पड़ोसी प्रांत बिहार में दबिश दी, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा। बनकटा थाना क्षेत्र के रामपुर बुजुर्ग गांव निवासी आफताब आलम खान का चौराहे पर स्टेट बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र हैचार सितंबर को बाइक सवार बदमाशों ने ग्राहक सेवा केंद्र पर धावा बोल दिया और साढ़े तीन लाख रुपये लूट कर फरार हो गएइस मामले में मुकदमा दर्ज कर छानबीन में जुटी पुलिस को उस समय सफलता हाथ लगी जब जिले की स्वाट टीम ने कुशीनगर से एक शातिर बदमाश को दबोचा। पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार बदमाशों ने पूरा राज उगल दिया। उस घटना में कुछ बिहार के भी बदमाश शामिल रहे। इस बाबत एसपी डा. श्रीपति मिश्र ने कहा कि त्योहार के चलते पुलिस टीम कुछ व्यस्त थी, जल्द ही पर्दाफाश किया जाएगा।



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- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी डॉक्टरों ने कहा कि उपचार के दौरान मरीजों को स्वाइन फ्लू के लिए दी जाने वाली टेमी फ्लू दवा दी जा रही है और इसका असर भी हो रहा है। उपचार करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोना पीड़ित मरीजों का उनके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा रहा है।
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कांधला में साल में एक या दो बार आना जाना तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के पिता हारून थे और दादा मौलाना यूसुफ। कांधला में छोटी नहर के पास एक मकान मौलाना साद के परिचितों का है, जो बंद रहता है। वह मकान सिर्फ तभी खुलता है जब मौलाना साद साल में एक या दो बार यहां आते हैं। मौलाना साद की पढ़ाई दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से ही हुई है। काफी समय तक वह सहारनपुर में भी रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का लगातार तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पहली बार मुलाकात की थी।
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मौलाना साद से जुड़े रहे हैं विवाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने से लेकर उसके बाद तक मौलाना साद से विवाद जुड़े रहे हैं। आरोप है कि तब्लीगी जमात का प्रमुख बनने के लिए मौलाना साद ने जमात के अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज किया और नई परंपराएं शुरू की। उनकी तकरीर पर भी विवाद हुआ था। तब दारुल उलूम देवबंद ने भी नाराजगी जताई थी। उसको लेकर विदेश से आए उलमा ने देवबंद पहुंचकर दारुल उलूम के मोहतमिम सहित अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात कर विवाद का पटाक्षेप करने का प्रयास किया था। विवादों के चलते दारुल उलूम में तब्लीगी जमात के आने पर पाबंदी तक लगा दी गई थी।