कविता - रुपेश धनगर पचावर

रिश्तो में जब खिची कोई एक लकीर 


 देख न पाया पुत्र भी बूढ़ी माँ की पीर 

 

 

 

समरथ से हिलमिल करे बेगाने भी प्यार

 गम भूले मजबूर के   अपने रिश्तेदार 

 

 

धनवानों  के नाम है भोंगो के अम्बार 

निर्धन इस जग में रहा रोटी को लाचार

 

 

 

 घृणा बसी जिनके हिये बसे ईर्ष्या द्वेष 

वे सब निरे पिशाच है नर नारी के बेष 

 

 

ताकतबर के खूब है तारीफों के शोर 

निर्बल के मत्थे मढे आरोपों के जोर 

 

 

 

दरवारो ने कब सुनी     लाचारों की चीख 

गुप्तदान मठ को मिले भूखे मिली न भीख 

 

 

 

घर घर सबके बन रहे   हलुआ पूड़ी खीर 

निर्धन के हिय में बसी  लाचारी की पीर 

 

 

 

रंग विषम भाषा विषम,विषम विविध परिधान

 विषम विविधता एकता    भारत की पहिचान 

 

 

  आहट से बरषात की    नाचे दादुर मोर 

   एक आहट धडकत जिया दूजे भागे चोर 

 

 

 शरद ऋतु में गाँव की लगे सुहानी भोर

 हरी घास शवनम गिरी मतवाली चहुओर 

 

 

 

शवनम धवल सुहावनी पीली सरसो क्यार 

जैसे  चुनरी धारकर किये प्रकृति श्रृंगार 

 

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कांधला में साल में एक या दो बार आना जाना तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के पिता हारून थे और दादा मौलाना यूसुफ। कांधला में छोटी नहर के पास एक मकान मौलाना साद के परिचितों का है, जो बंद रहता है। वह मकान सिर्फ तभी खुलता है जब मौलाना साद साल में एक या दो बार यहां आते हैं। मौलाना साद की पढ़ाई दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से ही हुई है। काफी समय तक वह सहारनपुर में भी रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का लगातार तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पहली बार मुलाकात की थी।
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मौलाना साद से जुड़े रहे हैं विवाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने से लेकर उसके बाद तक मौलाना साद से विवाद जुड़े रहे हैं। आरोप है कि तब्लीगी जमात का प्रमुख बनने के लिए मौलाना साद ने जमात के अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज किया और नई परंपराएं शुरू की। उनकी तकरीर पर भी विवाद हुआ था। तब दारुल उलूम देवबंद ने भी नाराजगी जताई थी। उसको लेकर विदेश से आए उलमा ने देवबंद पहुंचकर दारुल उलूम के मोहतमिम सहित अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात कर विवाद का पटाक्षेप करने का प्रयास किया था। विवादों के चलते दारुल उलूम में तब्लीगी जमात के आने पर पाबंदी तक लगा दी गई थी।