कारोबारी सुगमता के मामले में भारत की रैंकिंग में सुधार लाने में सीबीआईसी की बड़ी भूमिका: अनुराग ठाकुर

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री, अनुराग सिंह ठाकुर ने विश्वास व्यक्त किया है कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी)) के ठोस प्रयासों की मदद से भारत कारोबारी सुगमता की रैकिंग में अपनी स्थिति में और सुधार करेगा। ठाकुर ने आज यहां अलंकरण समारोह और अंतरराष्‍ट्रीय सीमा शुल्‍क दिवस 2020 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पारदर्शी, जवाबदेह और तर्कसंगत बनकर कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में अपनी स्थिति सुधारी है। उन्‍होंने कहा कि यह सब सीबीआईसी के अधिकारियों के प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है क्योंकि ट्रेडिंग एक्रॉस बॉर्डर्स रैंकिंग के प्रमुख मापदंडों में से एक है और यह सीबीआईसी के प्रयासों का ही नतीजा है कि इस प्रमुख पैमाने पर भारत ने अच्‍छा प्रदर्शन किया है। ठाकुर ने कहा कि इस मामले में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करके प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। श्री ठाकुर ने दुनिया भर में तेजी से बदलते परिवेश के अनुरूप खुद को ढ़ालने के लिए सीमा शुल्‍क अधिकारियों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि सीमा शुल्क अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं क्योंकि वे एक टीम के रूप में काम करते हैं और भारत जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश में काम के अनुरुप खुद को ढ़ाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क संगठन की 2020 की थीम आज के दौर में सीमा शुल्‍क विभाग की बदलती प्रकृति और भूमिका पर प्रकाश डालती है। हर साल 26 जनवरी को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस का विषय एक स्थायी भविष्य की दिशा में सीमा शुल्क के योगदान के लिए समर्पित है। सीमा शुल्‍क विभाग लोगों के सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। यह विभाग एक सतत विकास और के साथ लोगों और समूचे ग्रह की समृद्धि की दिशा में काम कर रहा है। ठाकुर ने सीबीआईसी अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए राष्‍ट्रपति का प्रोत्‍साहन पुरस्कार और विश्‍व सीमा शुल्‍क संगठन का मेरिट प्रमाण पत्र प्रदान किया।" alt="" aria-hidden="true" />



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कांधला में साल में एक या दो बार आना जाना तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के पिता हारून थे और दादा मौलाना यूसुफ। कांधला में छोटी नहर के पास एक मकान मौलाना साद के परिचितों का है, जो बंद रहता है। वह मकान सिर्फ तभी खुलता है जब मौलाना साद साल में एक या दो बार यहां आते हैं। मौलाना साद की पढ़ाई दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से ही हुई है। काफी समय तक वह सहारनपुर में भी रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का लगातार तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पहली बार मुलाकात की थी।
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मौलाना साद से जुड़े रहे हैं विवाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने से लेकर उसके बाद तक मौलाना साद से विवाद जुड़े रहे हैं। आरोप है कि तब्लीगी जमात का प्रमुख बनने के लिए मौलाना साद ने जमात के अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज किया और नई परंपराएं शुरू की। उनकी तकरीर पर भी विवाद हुआ था। तब दारुल उलूम देवबंद ने भी नाराजगी जताई थी। उसको लेकर विदेश से आए उलमा ने देवबंद पहुंचकर दारुल उलूम के मोहतमिम सहित अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात कर विवाद का पटाक्षेप करने का प्रयास किया था। विवादों के चलते दारुल उलूम में तब्लीगी जमात के आने पर पाबंदी तक लगा दी गई थी।