पहासू पत्रकार को तीन दिन में जान से मारने की धमकी

 पहासू न्यूज़ क्रांति इंडिया के पत्रकार जितेन्द्र कुमार, को जान से मारने की धमकी दी गई है। जिसको लेकर पत्रकार भयभीत है पहासू थाना प्रभारी दिनेश प्रताप सिंह, को लिखित शिकायत में कहा गया है। कि वीरवार की सुबह 9 : 30 बजे में अपनी बाइक रिपेयर कराने नगला चौराहें पर गया था वहां पर दो व्यक्ति आये जिन्होंने मेरे चारों तरफ अपनी बाइक घुमाईं और दबंगी अंदाज में मुझसे कहा तू बहुत बड़ा पत्रकार बनता है, तेरी पत्रकारिता तीन दिन में निकाल देंगे और हम तीन दिन के अन्दर खत्म कर देंगे जैसे तैसे जितेन्द्र कुमार अपनी जान बचाकर भागा जितेन्द्र कुमार, ने शिकायत में कहा है। कि धमकी इतनी डरावनी व संवेदनशील है जिससे डरा हुआ व सदमे में डूबा हुआ है। अगर जितेंद्र कुमार को रास्ते में कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार धमकी देने वाला होगा या फिर कोई और अब देखने लायक बात यह होगी कि पुलिस कितने समय में दोषी को गिरफ्तार करती है। या फिर हाथ जोड़कर अपना पल्ला साइड कर लेती है। अगर पुलिस ऐसे आवारा बदमाशों पर शिकंजा नहीं कर सकती तो हम सब पत्रकार एकत्रित होकर जल्द ही धरना प्रदर्शन करेंगे धरना में जो भी परिणाम होगा उस परिणाम का स्वयं पुलिस उत्तरदायित्व होगी देखने लायक बात यह होगी कि क्या पुलिस अपनी कसौटी पर खरा उतरेगी। 



 



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- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी डॉक्टरों ने कहा कि उपचार के दौरान मरीजों को स्वाइन फ्लू के लिए दी जाने वाली टेमी फ्लू दवा दी जा रही है और इसका असर भी हो रहा है। उपचार करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोना पीड़ित मरीजों का उनके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा रहा है।
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कांधला में साल में एक या दो बार आना जाना तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के पिता हारून थे और दादा मौलाना यूसुफ। कांधला में छोटी नहर के पास एक मकान मौलाना साद के परिचितों का है, जो बंद रहता है। वह मकान सिर्फ तभी खुलता है जब मौलाना साद साल में एक या दो बार यहां आते हैं। मौलाना साद की पढ़ाई दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से ही हुई है। काफी समय तक वह सहारनपुर में भी रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का लगातार तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पहली बार मुलाकात की थी।
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मौलाना साद से जुड़े रहे हैं विवाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने से लेकर उसके बाद तक मौलाना साद से विवाद जुड़े रहे हैं। आरोप है कि तब्लीगी जमात का प्रमुख बनने के लिए मौलाना साद ने जमात के अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज किया और नई परंपराएं शुरू की। उनकी तकरीर पर भी विवाद हुआ था। तब दारुल उलूम देवबंद ने भी नाराजगी जताई थी। उसको लेकर विदेश से आए उलमा ने देवबंद पहुंचकर दारुल उलूम के मोहतमिम सहित अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात कर विवाद का पटाक्षेप करने का प्रयास किया था। विवादों के चलते दारुल उलूम में तब्लीगी जमात के आने पर पाबंदी तक लगा दी गई थी।